लव जिहाद का गढ़ बनते भोपाल के कुछ फैशन शो?

भोपाल, मध्यप्रदेश की राजधानी, अपने शांति, संस्कृति और सौहार्द के लिए जानी जाती रही है। लेकिन हाल के वर्षों में शहर कई बार “लव जिहाद” विवादों को लेकर सुर्खियों में रहा है। अब चर्चा का नया केंद्र बने हैं भोपाल में आयोजित हो रहे कुछ फैशन शो, जिन पर सामाजिक संगठनों और राजनीतिक नेताओं ने गंभीर सवाल उठाए हैं।
फैशन शो और आरोपों का नया सिलसिला
पिछले कुछ महीनों में भोपाल में फैशन शो और मॉडलिंग इवेंट्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। जहाँ एक तरफ़ यह आयोजन युवाओं के लिए कला, करियर और आत्मविश्वास का मंच माने जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ कुछ संगठनों का आरोप है कि इनकी आड़ में “लव जिहाद” जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। उनका कहना है कि आयोजनों में युवतियों को टारगेट कर दोस्ती, संबंध और फिर धर्म परिवर्तन जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।
संगठनों का विरोध और चेतावनी
भोपाल के कई हिंदू संगठनों ने फैशन शो पर निगरानी की मांग की है। हाल ही में हुए एक विरोध प्रदर्शन में संगठनों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर ऐसे आयोजनों पर लगाम नहीं लगाई गई तो वे सड़कों पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उनका कहना है कि भोपाल जैसे पारंपरिक और सांस्कृतिक शहर में इस तरह के आयोजनों के जरिए “नशे, आधुनिकता और गलत संबंधों” को बढ़ावा दिया जा रहा है।
नेताओं के बयान
भोपाल से बीजेपी सांसद आलोक शर्मा ने हाल ही में गरबा आयोजनों को लेकर “लव जिहाद” की आशंका जताई थी। उन्होंने आयोजकों से पहचान पत्र की जांच कर युवाओं को प्रवेश देने की बात कही थी। अब फैशन शो पर उठ रहे सवालों को देखते हुए उनके समर्थकों का कहना है कि इस क्षेत्र में भी “निगरानी” की ज़रूरत है।
प्रशासन का रुख
पुलिस और जिला प्रशासन का कहना है कि अभी तक फैशन शो आयोजनों से जुड़े किसी ठोस “लव जिहाद” मामले की पुष्टि नहीं हुई है। फिर भी किसी भी तरह की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। आयोजकों को अनुमति देते समय कड़े नियमों का पालन करने को कहा जा रहा है। सुरक्षा और शुचिता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया जाता है।
समाज में उठती बहस
भोपाल के बुद्धिजीवी और कलाकार वर्ग का कहना है कि हर आयोजन को संदेह की नज़र से देखना ठीक नहीं है। उनके अनुसार फैशन और मॉडलिंग युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने का एक माध्यम है, लेकिन यदि इसके जरिए किसी भी प्रकार की गलत गतिविधि संचालित होती है तो प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
दूसरी ओर, परंपरावादी वर्ग का मानना है कि फैशन शो जैसे आयोजन भोपाल की सांस्कृतिक पहचान को प्रभावित कर रहे हैं। वे इसे “पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण” बताते हैं और आरोप लगाते हैं कि ऐसे मंचों के जरिए भोपाल में “लव जिहाद” जैसी घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है।
नतीजा
भोपाल आज एक दोराहे पर खड़ा दिखाई देता है। एक ओर युवा पीढ़ी फैशन और कला की दुनिया में करियर बनाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर समाज का एक बड़ा वर्ग इन आयोजनों को “संस्कृति पर खतरा” मान रहा है। “लव जिहाद” का मुद्दा इन फैशन शो को लेकर बहस को और भी संवेदनशील बना देता है।
अब देखना होगा कि प्रशासन, आयोजक और समाज मिलकर इस विवाद का समाधान कैसे निकालते हैं। क्या भोपाल के फैशन शो युवा प्रतिभाओं के लिए अवसर साबित होंगे, या फिर विवाद और राजनीति के घेरे में फँसकर अपनी विश्वसनीयता खो देंगे?
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