पाकिस्तान में मूसलाधार बारिश का कहर, 657 से अधिक लोगों की मौत

Aug 19, 2025 - 21:30
 0  0
पाकिस्तान में मूसलाधार बारिश का कहर, 657 से अधिक लोगों की मौत

इस्लामाबाद
 पाकिस्तान में जारी भीषण मानसूनी बारिश ने तबाही मचा दी है। देशभर में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जून के अंत से अब तक बारिश से जुड़ी घटनाओं में कम से कम 657 लोगों की मौत हो गई है और करीब 1,000 लोग घायल हुए हैं।
सोमवार को अकेले 400 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि की गई, जिनमें अधिकतर मामले बन्नू, स्वात, शंगला, बाजौर, पाकिस्तान अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान (पीओजीबी) और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से सामने आए।

बारिश और बाढ़ से दर्जनों घर बह गए, गांवों में अंतिम संस्कार खुले मैदानों में होने लगे और पहाड़ी घाटियों में मातम छा गया। इस त्रासदी ने एक बार फिर पाकिस्तान की जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता और संस्थागत तैयारियों की कमी को उजागर कर दिया है। यह बात पाकिस्तान ऑब्जर्वर में प्रकाशित शोधार्थी ज़फ़र ख़ान सफ़दर के लेख में सामने आई। खैबर पख्तूनख्वा (के-पी) प्रांत में सबसे अधिक जनहानि हुई, जहां बीते 15 वर्षों में सरकार ने महज नारेबाजी और वादों के सिवा कुछ ठोस कदम नहीं उठाए।

रिपोर्ट में दावा किया गया कि पाकिस्तान का बहुचर्चित "बिलियन ट्री सुनामी प्रोजेक्ट" एक बड़े घोटाले के रूप में सामने आया है। इसमें न तो वादे के मुताबिक पेड़ लगाए गए, न भूमि का सही उपयोग हुआ, बल्कि अरबों रुपये की हेराफेरी हुई और स्वात व दिर की पहाड़ियां अब भी उजड़ी पड़ी हैं। इसके अलावा, के-पी के मलम जब्बा भूमि घोटाले ने प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की पोल खोल दी।

सोमवार को के-पी के स्वाबी जिले में ही 17 लोगों की मौत हो गई। यहां बादल फटने से दर्जनभर घर डूब गए और भूस्खलन ने कई बस्तियों को निगल लिया। स्वाबी के डिप्टी कमिश्नर नसरुल्लाह ख़ान ने बताया कि डालोरी गांव में बादल फटने से 12 घर पूरी तरह डूब गए, जबकि गडून अमजई के पहाड़ी इलाकों में भारी तबाही हुई। पाकिस्तान ऑब्जर्वर ने रिपोर्ट में कहा कि के-पी में अनियंत्रित पेड़ कटाई और वनों की अंधाधुंध कटान ने प्राकृतिक सुरक्षा कवच को नष्ट कर दिया है, जिससे भूस्खलन और बाढ़ का खतरा कई गुना बढ़ गया।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यदि सरकार ने वनों की सुरक्षा, जलग्रहण क्षेत्रों की बहाली और बुनियादी ढांचे को दुरुस्त रखने पर गंभीरता दिखाई होती, तो अनगिनत लोगों की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन हकीकत यह है कि सैकड़ों मौतें सिर्फ बाढ़ और बारिश से नहीं बल्कि सरकारी लापरवाही, कुप्रबंधन और जवाबदेही के अभाव से हुई हैं।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0