पहले कैंपेन चलाने के लिए भीड़ इकट्ठा करनी पड़ती थी, अब हैशटैग इकट्ठा करने होते हैं- बलराज स्याल
पहले कैंपेन चलाने के लिए भीड़ इकट्ठा करनी पड़ती थी, अब हैशटैग इकट्ठा करने होते हैं- बलराज स्याल

भोपाल। आजकल इंटरनेट बहुत सस्ता है, तो किसी को भी भोपाल। आप ट्रोल कर सकते हैं। पहले कैंपेन चलाने के लिए भीड़ इकट्ठा करनी पड़ती थी, अब हैशटैग इकट्ठा करने होते हैं। स्ट्रीट डॉग्स को लेकर जो कैंपन चला, उसमें आपको सड़कों पर लोग दिखे। कॉमेडियंस के विरोध में ऐसे सडकों पर कोई नहीं जुटता। ये सब विरोध वर्जुअल होता है। मेरा कहना है कि जितनी अवयेरनेस आप में स्टैंटअप कॉमेडी को लेकर है, उतनी पॉ़ल्युशन, करप्शन को लेकर क्यों नहीं है? कॉमेडियन को टारगेट करना आसान है। कुछ समय पहले किकू शारदा के साथ भी हुआ। उनको माफी मांगनी पड़ी। मेरा कहना है कि नेता झूठ बोलकर वोट ले जाते हैं, उनको कोई माफी मांगने नहीं कहता है। लोगों को यही कहूंगा कि इंटरनेट का सही इस्तेमाल कर, लोगों को ट्रोल कम करो।यह कहना है स्टैंडअप कॉमेडियन, स्क्रीप्टराइटर, डायरेक्टर, बलराज स्याल का। वह फिल्म अपने घर बेगाने के लिए फिल्मफेयर मिलने के बाद पहली बार भोपाल पहुंचे थे। इस दौरान MPCG.LIVE की टीम से उन्होंने खास बातचीत की।
आजकल लोगों के सेंटीमेंट्स बेवजह ही हर्ट हो रहे हैं
आजकल लोग बहुत जल्दी हर्ट हो जाते हैं।जिसके साथ मजाक हो रहा है भले ही वो हर्ट नहीं है, लेकिन देखने वाला हर्ट हो रहा है। लोग सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट बनाकर विरोध करते हैं जो बिल्कुल भी सही नहीं है। जिस डिसेबल्ड व्यक्ति पर ‛इंडियाज गॉट लेटेंट’ में मजाक को लेकर विवाद उठा था, आज वो व्यक्ति मजाक उड़ाने वाले कॉमेडियन के साथ शोज कर रहा है। उसे कोई दिक्कत नहीं लेकिन बाकी लोगों को सेंटिमेंट बेवजह हर्ट हो जा रहे हैं। अगर कुछ कॉमेडियंस के मुंह से गलती से कोई बात निकल जाती है, वो उसकी माफी मांग लेते हैं। वहीं कुछ जान-बुझकर ऐसी बातें बोलते हैं, ताकि व्यू बढे। कॉमेडियंस भी ये समझ गए हैं कि नेगेटिव वीडियो की रीच ज्यादा है, वो तेजी से वायरल होता है। अगर आम लोग पॉजीटिव कंटेंट को देखना पसंद करने लगे, उसे वायरल करें तो कॉमेडियन भी नेगेटिव चीजें नहीं परोसेगा।
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